*मेरे भीतर चंद्रमा*
खंडित हैफिर भीरात-रात भरअटल चमकता हैदूधिया चांदनी बिखेरतामेरी छत परमासूम सा चंद्रमा
एक मैं ऊपर से
समुचिम सालम
टूटा मगर भीतर से
देख-देख जागता हूं
उस पल की प्रतीक्षा में
चांद छिपे तो सोऊं !
मुझे
भय चांद का नहीं
वह तो है
भीतर कहीं
जहां छिपा है
कोई और चंद्रमा !
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