होना
हर सू होना है
जो चलता रहता है
अपने ही तरीके से
होने के लिए होना
बिन रुके अनवरत
हर पल-हर दिश !
इसी बीच
किसी की वांछनाओं को
परास्त कर
हमारी वांछनाए भी
चाहती हैं होना
इनके बीच उभरता
द्वंद्व भी तो
होना ही है होने का !
होने का न होना भी
होना ही है
अनहोना नहीं
जैसे कि चाहने पर
रात का
बड़ा-छोटा न होना
या फिर सब का
ढल जाना
हमारे अनुरूप
जीवन और मृत्यु
कुछ बड़े जरूर हैं
होने से मगर
नहीं है कत्तई विलग !
हर सू होना है
जो चलता रहता है
अपने ही तरीके से
होने के लिए होना
बिन रुके अनवरत
हर पल-हर दिश !
इसी बीच
किसी की वांछनाओं को
परास्त कर
हमारी वांछनाए भी
चाहती हैं होना
इनके बीच उभरता
द्वंद्व भी तो
होना ही है होने का !
होने का न होना भी
होना ही है
अनहोना नहीं
जैसे कि चाहने पर
रात का
बड़ा-छोटा न होना
या फिर सब का
ढल जाना
हमारे अनुरूप
जीवन और मृत्यु
कुछ बड़े जरूर हैं
होने से मगर
नहीं है कत्तई विलग !
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