रविवार, अप्रैल 13, 2014

* होना होता है होना*

होना
हर सू होना है
जो चलता रहता है
अपने ही तरीके से
होने के लिए होना
बिन रुके अनवरत 
हर पल-हर दिश !

इसी बीच
किसी की वांछनाओं को
परास्त कर
हमारी वांछनाए भी
चाहती हैं होना
इनके बीच उभरता
द्वंद्व भी तो
होना ही है होने का !

होने का न होना भी
होना ही है
अनहोना नहीं
जैसे कि चाहने पर
रात का
बड़ा-छोटा न होना
या फिर सब का
ढल जाना
हमारे अनुरूप
जीवन और मृत्यु
कुछ बड़े जरूर हैं
होने से मगर
नहीं है कत्तई विलग !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें