शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014

*प्यार का बीज*

वह बोता रहा
पन्नों पर प्यार
प्रीत के गीत
नहीं हुई वक्त पर
नेह की बारिश
मिली ही नहीं
निकटता की खाद
अवेहलाओं में उगा
उगते ही वह
प्रीत का बिरवा
कुम्हला गया
अब तो
प्यार की जमीन भी
हो चली है बंजर
फड़फडा कर
उड़ गया है
वो कागज भी
जिस पर बोया था
प्यार का बीज !

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