'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
रविवार, अप्रैल 13, 2014
नया सूरज
आज फिर
आया है सूरज
सहमा हुआ सा
मेरे घर की
छत लांघ कर
उदास सा
कंकरीट के
तिमंजलों से
बच कर
बादलों से लाया
मानो उधार में
धूप मांग कर !
आखिर
कितने दिन
रहेंगे हम
इस उधारी पर
आओ-उटो !
एक नया सूरज
उगाएं अपने लिए !
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