रविवार, अप्रैल 13, 2014

*पानीदार पानी*

मेरी प्यास के लिए
पानी नहीँ आया
पानी लाया गया
अपने पानी के लिए !

पानी के लिए
लोग दौड़े
पानी के लिए ही
अड़े-भिड़े
लड़े-मरे
कहीं पानी देखा गया
कहीँ देख लेने की बात हुई
कहीँ पानी बचाया गया
कहीँ कही उतर भी गया !

पानीदार चरित्रों की
कहानियां लिखी गईं
इतिहास रचा गया
पानीदारों का
हम तरसते रहे
प्यास भर पानी को !

पानी तो
हम भी बचाते रहे
बचा नहीँ मगर कभी भी
हमारा पानी
कभी भी


पानी की संज्ञा में
आंका ही नहीं गया ।

अब वे
लाए हैँ समाचार
दूर देश से ;
अगला युद्ध
पानी के लिए होगा
इस लिए पानी बचाओ !

मां कहती है
मैंने तो
घर के भीतर भी
भयानक युद्ध देखे हैँ
पानी के लिए
अब तो
उतरने लगा है
तांबे के गहनों से
सोने का पानी
जो कभी चढ़ाया गया था
घर के पानी के लिए !

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