अनन्त काल से
अंधकार शाश्वत
अटल स्थिर
प्रकाश आता
झपटता अंधकार पर
कुछ काल रहता
आगोश मेँ ले उसे
फिर जाना ही होता है
क्षरित हो
अस्ताचल मेँ
हर बार जीतता है
अंधकार ही !
प्रकाश होता है
उम्मीद हमारी
इसी लिए गाते हैँ
हम गीत उसी के
यह जानते हुए भी
कि अटल है अंधकार
हम उगाते रहते हैं
फसल प्रकाश
जिस मेँ लगता नहीँ
फल प्रकाश का !
गर्भ का अंधेरा
याद रहता नहीं
याद आता है
सुबह से शाम का
तमतमाता सूरज कल का
अंधकार से जूझता
हर बार हारता सूरज !
अंधकार शाश्वत
अटल स्थिर
प्रकाश आता
झपटता अंधकार पर
कुछ काल रहता
आगोश मेँ ले उसे
फिर जाना ही होता है
क्षरित हो
अस्ताचल मेँ
हर बार जीतता है
अंधकार ही !
प्रकाश होता है
उम्मीद हमारी
इसी लिए गाते हैँ
हम गीत उसी के
यह जानते हुए भी
कि अटल है अंधकार
हम उगाते रहते हैं
फसल प्रकाश
जिस मेँ लगता नहीँ
फल प्रकाश का !
गर्भ का अंधेरा
याद रहता नहीं
याद आता है
सुबह से शाम का
तमतमाता सूरज कल का
अंधकार से जूझता
हर बार हारता सूरज !
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