रविवार, अप्रैल 13, 2014

*हम भोले नहीं थे*

कितने भोले थे
बचपन में हम
बहल जाया करते थे
खिलौनों से हम 
पापा बन जाते थे
कभी-कभी घोडा
मां हो जाती म्याऊं
हम बजा कर ताली
कितना खिलाते थे !

अब जब
खेलते हैं लौग
हमें खिलौना बना कर
सरेआम हम से
हम कितने उदास हैं !

अब
समझ आता है
दूसरों की
चालाकियां देख कर
बचपन में हम
भोले नहीं
चतुर-चालाक थे !

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