शुक्रवार, अप्रैल 11, 2014

मुझे समन्दर करती वह

उसे भूख नहीं लगती
क्यों कि मैंने कुछ नहीं खाया

वह बेचैन है
क्यों कि मुझे चैन नहीं

उसे नींद नहीं आती
क्यों कि मुझे नींद नहीं आती

उसे गुस्सा नहीं आता
क्यों कि मुझे गुस्सा आता है

वह खुश है
क्यों कि मैं खुश हूं

वह चिंतित रहती है
क्यों कि मैं चिंता नहीं करता

वह उन सम्बन्धों को ढोती है
जिनको मैं उसे सौंपता हूं

सात फेरों के बदले
अपने स्वजन को त्याग
मेरे परिजन को
अपना स्वजन स्वीकारती
अपने स्व को होम
मुझ में आ मिलती है
किसी नदी की तरह
मुझे समन्दर करती वह !

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